उत्तर प्रदेश के वाराणसी को दुनिया की सबसे प्राचीन नगरी कहा जाता है. विशेष तौर पर यहां का धार्मिक महत्व दुनिया के कोने-कोने में बसे लोगों को इस शहर की तरफ खींच लाता है. वैसे विभिन्न धर्म के साथ-साथ सनातन धर्म से जुड़े हुए यहां अनेक ऐसे धार्मिक स्थल हैं जिनका अपना महात्म भी है. वैसे तो भगवान शंकर की इस नगरी में द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक श्री काशी विश्वनाथ मंदिर सबसे प्रमुख माना जाता है. लेकिन मंदिरों के इस शहर में एक ऐसा भी मंदिर है जिसके दर्शन के बिना काशी की यात्रा अधूरी मानी जाती है. जी हां, काशी विश्वनाथ मंदिर से तकरीबन 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित श्री काशी कोतवाल काल भैरव मंदिर में दर्शन करके ही आपको काशी के मंदिरों में दर्शन पूजन करने वाले पुण्य की प्राप्ति होगी.
काशी कोतवाल के नाम से जाने जाते हैं कालभैरव
मां गंगा के तट पर बसे इस शहर में भैरव के अनेक रूप हैं. लेकिन काशी यात्रा के दौरान काल भैरव का दर्शन करना अनिवार्य माना जाता है. आपको इस मंदिर जाने के लिए मैदागिन चौराहे से विश्वेश्वर गंज की तरफ जाना होगा, जहां से श्री काल भैरव मंदिर का मार्ग है. हिंदू पंचांग की प्रमुख तिथियों के अलावा प्रत्येक रविवार और मंगलवार को यहां भारी भीड़ लगती है. विशेष तौर पर बीते 10 वर्षों में यहां मंगलवार और रविवार के दिन काल भैरव के दर्शन करने के लिए श्रद्धालु घंटों कतार में लगे रहते हैं. मान्यता है कि सभी कष्ट बाधा मुक्ति और रोग से निवारण के लिए लोग काल भैरव के दरबार में शीश झुकाते हैं और निसंदेह श्रद्धालुओं की हर ऐसी मनोकामना इस मंदिर में पूर्ण भी होती है.
पीएम, सीएम से लेकर अधिकारी भी पदभार के पहले लेते हैं बाबा की अनुमति
काल भैरव को काशी का कोतवाल कहा जाता है. लंबे समय से काशी में परंपरा रही है कि जो कोई भी इस शहर का नेतृत्व करता है अथवा अपनी धार्मिक यात्रा करता है वह पहले कालभैरव की अनुमति लेता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने वाराणसी दौरे पर काल भैरव का आशीर्वाद लिया था. इसके अलावा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने तकरीबन 150 काशी दौरे में अधिकांश बार काशी विश्वनाथ के साथ-साथ काल भैरव मंदिर में भी दर्शन करने जरूर पहुंचे हैं. कोई भी विभागीय अधिकारी भी अपने पदभार के पहले बाबा से अनुमति लेना नहीं भूलता.
थाने की कुर्सी पर भी बैठते है बाबा काल भैरव
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि मंदिर के निकटतम कोतवाली थाने की कुर्सी पर बाबा काल भैरव की तस्वीर रखी जाती है. यह परंपरा आज भी निभाई जाती है जिसके तहत यह माना जाता है कि बाबा काल भैरव द्वारा ही शहर को नियंत्रित किया जाता है. उनकी अनुमति के बिना काशी में रहना संभव नहीं है. ऐसे में आप जब भी काशी आइए काल भैरव मंदिर में दर्शन करना ना भूलिए.